शिमला समझौता: कब और क्यों हुआ था?
मार्च 1971 में भारत ने सैन्य हस्तक्षेप कर पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर दिया और ‘बांग्लादेश’ के नाम से एक नया स्वतंत्र राष्ट्र स्थापित किया। इस युद्ध में पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश में भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। युद्ध के दौरान भारत ने लगभग 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों और नागरिकों को युद्धबंदी बनाया। इसके अलावा, भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान के लगभग 5,000 वर्ग मील क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया था।
1971 के युद्ध के बाद, भारत और पाकिस्तान दोनों ने भविष्य में संघर्षों से बचने और आपसी चिंताओं को शांति पूर्वक सुलझाने के लिए एक ढांचा तैयार करने पर सहमति जताई। युद्ध के करीब 16 महीने बाद, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला में मुलाकात के लिए पहुंचे। जुल्फिकार अली भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला पहुंचे थे। इसके बाद, दोनों नेताओं ने 2 जुलाई 1972 को ऐतिहासिक ‘शिमला समझौते’ पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से सुलझाना और दोनों देशों के बीच स्थायी शांति तथा बेहतर संबंध स्थापित करना था।
शिमला समझौते के प्रमुख बिंदु:
- द्विपक्षीयता का सिद्धांत (Bilateralism):
भारत और पाकिस्तान ने सहमति जताई कि वे अपने सभी विवादों को आपसी बातचीत से सुलझाएंगे और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेंगे। इससे पहले दोनों देश कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का दरवाजा खटखटा चुके थे, परंतु शिमला समझौते के तहत उन्होंने यह तय किया कि भविष्य में ऐसे विवाद आपसी स्तर पर ही निपटाए जाएंगे। - नियंत्रण रेखा (LOC) को परिभाषित किया गया : जम्मू और कश्मीर में सीजफायर लाइन को लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) निर्धारित किया गया. दोनों देशों ने इसमें एकतरफा बदलाव नहीं करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
- कैदियों की रिहाई : भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा युद्धबंदियों को बिना किसी शर्त के रिहा करने पर सहमति व्यक्त की. और पश्चिमी पाकिस्तान की कब्जाई गई ज़मीन भी लौटाने पर राजी हो गया.
- बांग्लादेश को मान्यता : पाकिस्तान ने भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने और बांग्लादेश की संप्रभुता को मान्यता देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
- इन प्रावधानों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी शांति, आपसी भरोसे और सम्मान की नींव रखना था.
नियंत्रण रेखा (LOC) को परिभाषित किया गया : जम्मू और कश्मीर में सीजफायर लाइन को लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) निर्धारित किया गया. दोनों देशों ने इसमें एकतरफा बदलाव नहीं करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
कैदियों की रिहाई : भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा युद्धबंदियों को बिना किसी शर्त के रिहा करने पर सहमति व्यक्त की. और पश्चिमी पाकिस्तान की कब्जाई गई ज़मीन भी लौटाने पर राजी हो गया.
बांग्लादेश को मान्यता : पाकिस्तान ने भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने और बांग्लादेश की संप्रभुता को मान्यता देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
इन प्रावधानों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी शांति, आपसी भरोसे और सम्मान की नींव रखना था.


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